किसी व्यक्ति से मार-पीट करना और उसे जख्मी कर देना या उसे गंभीर रूप से चोटिल कर देना एक गंभीर मामला है। यदि आपको भी किसी व्यक्ति ने गंभीर रूप से चोटिल कर दिया है या आपसे बार - बार मार-पीट करता है तो ऐसे मामलों में आप क्या-क्या कर सकते है और कौन से कानूनी प्रावधान अपना सकते है की जानकारी इस आर्टिकल में दी गयी है। इसलिए आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़े।
मारपीट करने पर क्या सजा होती है |
भारतीय दंड संहिता (आईपीसी ) के अंतर्गत ऐसी कई धाराएं आती है जिसके अंतर्गत अलग अलग दशाओं में मार पीट की घटना पर सजा का प्रावधान है।भारतीय दण्ड संहिता के अंतर्गत आपके ऊपर जानलेवा हमला या मार पीट करने वाले व्यक्ति को छः माह से लेकर दस साल तक की सजा मिल सकती है।
सामान्य मार पीट जैसे चाटा मारने जैसे मामलों की शिकायत थाने में की जा सकती है, लेकिन इस तरह के मामले संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आता है। इसीलिए पुलिस ऐसे मामलों में शिकायत दर्ज है। लेकिन शिकायतकर्ता को एक बार पुलिस से जरूर शिकायत करनी चाहिए। लेकिन यदि ऐसी घटना ज्यादा होती है तो शिकायतकर्ता अदालत के सामने अर्जी दाखिल कर दोषी व्यक्ति के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की गुहार लगा सकता है।
इसके अलावा मार पीट की घटना में ऐसी धाराएं होती है जो मारपीट करने की स्तिथि और अपराध करने के तरीके पर निर्भर करता है। यदि मारपीट करने की वर्त्तमान स्तिथि संज्ञेय अपराध के श्रेणी में आता है तब दोषी व्यक्ति के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जा सकती है।
मारपीट करने के स्तिथि के हिसाब से दोषी व्यक्ति पर कौन कौन सी धाराएं लग सकती है इसके बारे में मई आपको विस्तार से बताने रहे है।
साधारण मारपीट पर धारा 323:
साधारण मारपीट के केस में पुलिस धारा 323 के तहत केस दर्ज करती है। यह धारा जमानतीय और गैर संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आता है। आईपीसी की धारा 323 के तहत दोषी व्यक्ति को १ साल तक की सजा व 1 हज़ार रुपये जुर्माना भरना पड़ सकता है।
क़ानूनी जानकारों की माने तो साधारण मारपीट की दसा में पीड़ित व्यक्ति को स्थानीय अस्पताल से मेडिकल लीगल सर्टिफिकेट(एमएलसी) बनवा लेना चाहिए जिससे कोर्ट में शिकायत की जाये तो सबूत के तौर पर एमएलसी लगाया जा सके। एमएलसी मारपीट के बाद किसी भी डॉक्टर से कराई जा सकती है। यदि पुलिस एमएलसी नहीं कराती है तो पीड़ित व्यक्ति स्वयं भी करवा सकता है।
घातक हथियार से हमला होने पर धारा 324:
मारपीट के दौरान यदि कोई व्यक्ति घातक हथियार से हमला करता है तो ऐसी दसा में पुलिस धारा 324 के तहत एफआईआर दर्ज करती है। यह एक गैर जमानतीय अपराध के श्रेणी में आता है। इसके अलावा मारपीट के दौरान अगर कोई व्यक्ति गोली चलाता है या विस्फोटक पदार्थ या कोई गरम पदार्थ प्रयोग करता है तब भी पुलिस धारा 324 के तहत ही केस दर्ज करेगी। यदि दोषी व्यक्ति पर आरोप साबित हो जाता है तो उसे 3 साल तक की कारवाश हो सकती है।
गंभीर चोट की दसा में धारा 325:
अगर मारपीट दौरान किसी व्यक्ति का हड्डी टूट जाता है तो पुलिस ऐसे मामले में धारा 325 के अंतर्गत मुक़दमा दर्ज करती है। ऐसे मामलें संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आते है तथा धारा 325 के अंदर दर्ज होने वाला मुक़दमा जमानतीय होता है जिसमे आसानी से दोषी व्यक्ति को जमानत मिल जाती है।
इसके आलावा ऐसे मामलों में समझौता भी किया जा सकता है। लेकिन अगर यह अपराध जानबूझकर किया गया हो और यह कोर्ट में सिद्ध हो गया तो दोषी व्यक्ति को 6 साल तक की सजा हो सकती है इसके अलावा दोषी व्यक्ति को जुरमाना भी भरना पड़ सकता है।
गंभीर रूप से जख्मी होने पर धारा 326:
अगर मारपीट के दौरान कोई शख्स किसी को गंभीर छोटे पहुँचाता है तो ऐसी दशा में पुलिस धारा 326 के तहत मुक़दमा दर्ज करती है। धारा 326 के तहत पुलिस तब मुक़दमा दर्ज करती है जब मारपीट के दौरान कोई व्यक्ति किसी को चाकू मार देता है या किसी को जख्मी कर देता है जिससे उसकी जान को खतरा हो जाता है। ऐसे अपराध जो धरा 326 के तहत आते है वे सभी अपराध गैर जमानतीय अपराध होते है और अपराध साबित होने पर दोषी व्यक्ति को दस साल की कारवास या उम्रकैद हो सकती है।
जानलेवा हमला होने पर धारा 307:
अगर कोई व्यक्ति मारपीट के दौरान जान लेने की नियत से हमला करता है और वह व्यक्ति नाकाम रहता है तो ऐसी दसा में पुलिस दोषी व्यक्ति के ऊपर आईपीसी की धारा 307(हत्या का प्रयास) के तहत केस दर्ज करती है। यह एक गैर जमानती अपराध के श्रेणी में आता है और इसमें दोषी व्यक्ति को 10 की सजा या उम्रकैद हो सकती है। इसके साथ ही इस तरह के अपराध में आर्थिक दण्ड देने का भी प्रावधान होता है। क़ानून के जानकारों की माने तो यह एक ऐसा अपराधह होता है है जिसमे दोषी व्यक्ति अपने बचाव में कोई साक्ष्य भी नहीं दे सकता है क्यूंकि ऐसे अपराध में साक्ष्य और गवाह खुद पीड़ित व्यक्ति ही होता है। ऐसी दसा में अपराध करने वाले व्यक्ति के पास बचने का कोई रास्ता नहीं होता है।
गैर इरादतन हत्या के प्रयास पर धारा 308:
मारपीट के दौरान अगर कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति पर हमला करता है और दूसरे व्यक्ति को जान का खतरा हो जाता है लेकिन हमला करने वाले व्यक्ति का उद्देश्य जान से मारना नही होता है तो ऐसी दशा में आरोपी व्यक्ति पर पुलिस गैर इरादतन हत्या का प्रयास करने पर आईपीसी की धारा 308 के तहत केस दर्ज कराती है। ऐसे मामलों में दोषी पाए जाने पर दोषी व्यक्ति को 7 साल तक की सजा हो सकती है।
Mere sath bhi maar pit hoti hai mera pti Marta hai hai sath m saas sasur bhi sath m galiya dete hai meri. Court marrige hai
ReplyDeleteIsake liye aap nazdiki mahila Police station me sikayat darj kara sakti hai
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